आजकल के समय में पीठ दर्द और कमर से पैरों में फैलने वाला दर्द लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। लंबे समय तक ऑफिस में बैठकर काम करना, भारी सामान उठाना, गलत मुद्रा, और निष्क्रिय जीवनशैली, इन समस्याओं को और बढ़ा रही हैं।
अक्सर लोग स्लिप डिस्क और साइटिका को एक जैसा समझ लेते हैं। जबकि वास्तव में दोनों अलग-अलग स्थितियां हैं। हाँ, यह सच है कि स्लिप डिस्क साइटिका का कारण बन सकती है, लेकिन दोनों का निदान और इलाज अलग दृष्टिकोण से किया जाता है।
स्लिप डिस्क क्या है?
रीढ़ की हड्डी कई वर्टिब्रा (कशेरुकाओं) से बनी होती है और इनके बीच स्पाइनल डिस्क होती है, जो कुशन की तरह काम करती है। जब यह डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है या फट जाती है, और पास की नसों पर दबाव डालती है, तो इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है।
सामान्य लक्षण:
- पीठ या गर्दन में तेज दर्द
- झनझनाहट या सुन्नपन
- हाथों या पैरों में कमजोरी
- चलने-फिरने में कठिनाई
- लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर दर्द बढ़ना
स्लिप डिस्क आमतौर पर कमर (लंबर स्पाइन) या गर्दन (सर्वाइकल स्पाइन) में होती है और यह कामकाजी लोगों और खिलाड़ियों में अधिक देखी जाती है।
साइटिका क्या है?
साइटिका एक ऐसी स्थिति है, जहां शरीर की सबसे बड़ी नस (साइटिक नर्व) दबाव में आती है। यह नस कमर से शुरू होकर कूल्हों और पैरों तक जाती है।
साइटिका का कारण अक्सर स्लिप डिस्क होता है, लेकिन इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे की – स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की नली का संकरा होना), पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम (मांसपेशियों में जकड़न), या डिजेनरेटिव डिस्क डिजीज।
सामान्य लक्षण:
- कमर से लेकर पैरों तक फैलता दर्द
- पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट
- बैठने, खड़े होने, या चलने में कठिनाई
- पैरों में कमजोरी
- रात में या देर तक बैठने पर दर्द का बढ़ना
साइटिका को अक्सर लोग “स्लिप डिस्क का दर्द” कहकर बुलाते हैं, जबकि यह वास्तव में नस पर दबाव की एक स्थिति है।
स्लिप डिस्क और साइटिका में मुख्य अंतर
स्लिप डिस्क | साइटिका | |
---|---|---|
परिभाषा | डिस्क का खिसकना या फटना | साइटिक नर्व पर दबाव पड़ना |
कारण | रीढ़ में डिस्क की समस्या | स्लिप डिस्क, स्टेनोसिस, या मांसपेशियों का दबाव |
लक्षण | पीठ या गर्दन दर्द, सुन्नपन | कमर से पैरों तक फैलता दर्द |
संबंध | साइटिका का कारण बन सकती है | स्लिप डिस्क के कारण हो सकता है |
आसान शब्दों में कहें तो; स्लिप डिस्क रीढ़ की समस्या है, जबकि साइटिका नस पर दबाव की समस्या है।
सही इलाज और उपचार के विकल्प
दवा और इंजेक्शन:
अक्सर डॉक्टर दर्द कम करने के लिए दवा या स्टेरॉयड इंजेक्शन देते हैं। ये उपाय अस्थायी राहत तो देते हैं, लेकिन समस्या की जड़ तक नहीं पहुंचते।
फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज:
सही व्यायाम और स्ट्रेचिंग मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और रीढ़ पर दबाव कम करते हैं। इनमें शामिल है कुछ व्यायाम जैसे की – हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच, कैट-काउ पोज़, और पेल्विक टिल्ट्स।
सही पोश्चर और जीवनशैली:
सीधे बैठना, भारी सामान सही तरीके से उठाना, और लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठना जरूरी है।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट:
यह एक आधुनिक और वैज्ञानिक उपचार है। इसमें मरीज को विशेष टेबल पर लिटाकर रीढ़ को धीरे-धीरे खिंचाव दिया जाता है।
जिससे:
- रीढ़ में निगेटिव प्रेशर बनता है।
- खिसकी हुई डिस्क अपनी जगह लौटने लगती है।
- नसों पर दबाव कम होता है।
- डिस्क में पोषण और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है।
- शरीर प्राकृतिक रूप से ठीक होने लगता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट पूरी तरह दवा-मुक्त, बिना इंजेक्शन, और बिना सर्जरी के होती है। इसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं है और मरीज जल्दी से अपनी दैनिक दिनचर्या में लौट सकता है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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