क्या आपको लगातार पीठ या गर्दन में दर्द रहता है? क्या बैठना, झुकना, या चलना मुश्किल हो रहा है? यदि हां, तो यह डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज (Degenerative Disc Disease) के संकेत हो सकते है। यह एक उम्र से संबंधित रीढ़ की समस्या है, जिसमें रीढ़ की हड्डियों के बीच मौजूद स्पाइनल डिस्क धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगती हैं।
आइये हम जाने कि डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज क्या होती है, इसके कारण और लक्षण क्या हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात; क्या इसका इलाज बिना सर्जरी के संभव है?
डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज क्या है?
रीढ़ की हड्डी में कई कशेरुकाएं (vertebrae) होती हैं, जिनके बीच में मुलायम डिस्क होती हैं। ये डिस्क स्पाइन को झटकों से बचाने का काम करती हैं और उसे लचीला बनाती हैं।
जब ये डिस्क उम्र, आघात, या खराब जीवनशैली के कारण अपनी नमी खो देती हैं, पतली हो जाती हैं, या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो इसे ही डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज कहा जाता है। यह कोई “बीमारी” नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक स्थिति है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है और व्यक्ति की गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
इसके मुख्य कारण
उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, डिस्क में मौजूद जेल जैसे पदार्थ (nucleus pulposus) सूखने लगते हैं, जिससे वह अपना लचीलापन खो देती है।
दुर्घटना या चोट
पीठ या गर्दन में चोट लगने से डिस्क को स्थायी नुकसान हो सकता है।
गलत मुद्रा और बैठने की आदतें
लंबे समय तक झुककर बैठना या बैठने का गलत तरीका अपनाना, रीढ़ पर दबाव डालता है।
भारी वजन उठाना
बार-बार या गलत तरीके से वजन उठाने से डिस्क पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
धूम्रपान और मोटापा
धूम्रपान से डिस्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और मोटापा रीढ़ पर अतिरिक्त भार डालता है।
प्रमुख लक्षण
- लगातार पीठ या गर्दन में दर्द: विशेष रूप से बैठने या झुकने पर दर्द बढ़ना
- अकड़न या जकड़न: सुबह के समय या लंबे समय तक बैठने के बाद अकड़न महसूस होना
- हाथों या पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन: खासकर तब जब डिस्क आसपास की नसों को प्रभावित करती है
- चलने-फिरने या खड़े रहने में कठिनाई: विशेष रूप से लम्बर (कमर) क्षेत्र में डिस्क प्रभावित हो तो
- मांसपेशियों में कमजोरी: हाथ या पैर की पकड़ कमजोर होना
डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज का बिना सर्जरी इलाज
अधिकतर लोग मानते हैं कि जब डिस्क कमजोर हो जाए तो केवल सर्जरी ही एकमात्र विकल्प होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि बिना सर्जरी उपचार से भी डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज को काफी हद तक नियंत्रित और बेहतर किया जा सकता है।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट (NSSDT):
यह एक बिना सर्जरी की, दर्द-मुक्त, और कंप्यूटर-नियंत्रित उपचार पद्धति है जो डिस्क पर से दबाव हटाने में मदद करती है।
यह कैसे काम करती है:
- रीढ़ की हड्डी को धीरे-धीरे खींचा जाता है।
- निगेटिव प्रेशर से डिस्क को पोषक तत्व मिलते हैं।
- सूखी डिस्क में पानी वापस आता है।
- नसों पर दबाव कम होता है और दर्द घटता है।
फायदे:
- कोई दवा या इंजेक्शन नहीं
- बिना चीरफाड़ के और पूरी तरह सुरक्षित
- कोई रिकवरी टाइम नहीं
- प्राकृतिक तरीके से डिस्क का ठीक होना
फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज
नियमित व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और रीढ़ को सपोर्ट देते हैं। योग और स्ट्रेचिंग से भी लचीलापन बढ़ता है।
पोश्चर सुधारना
सही बैठने, खड़े होने, और चलने की आदतें अपनाकर रीढ़ पर दबाव कम किया जा सकता है।
जीवनशैली में सुधार
संतुलित आहार, वजन नियंत्रण, धूम्रपान छोड़ना, और मानसिक तनाव पर नियंत्रण, डिजेनेरेटिव डिस्क डिज़ीज के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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