कई महिलाओं के जीवन में प्रेग्नेंसी एक अनमोल अनुभव है, लेकिन इसके साथ कई शारीरिक बदलाव भी दिखाई देते हैं। डिलीवरी के बाद अधिकांश महिलाएं पीठ दर्द की समस्या का सामना करती हैं।
यह दर्द सामान्य भी हो सकता है, लेकिन कई बार यह महीनों तक बना रहता है और धीरे-धीरे दीर्घकालीन पीठ दर्द (Chronic Back Pain) का रूप ले लेता है। इससे पीड़ित महिलाओं की दैनिक दिनचर्या प्रभावित होती है और बच्चा उठाने या दूध पिलाने जैसे सरल कार्य भी कठिन लगने लगते हैं।
अच्छी खबर यह है कि सही देखभाल और उपचार से इस दर्द से राहत संभव है।
प्रेग्नेंसी के बाद पीठ दर्द के मुख्य कारण
निम्नलिखित कारण महत्वपूर्ण हैं।
1. हार्मोनल बदलाव
गर्भावस्था के दौरान रिलैक्सिन (Relaxin) नामक हार्मोन शरीर में उत्पन्न होता है, जिससे हड्डियों और लिगामेंट्स में ढीलापन आ जाता है। यह डिलीवरी को आसान बनाता है, लेकिन बाद में जोड़ों की अस्थिरता और पीठ दर्द का कारण बन सकता है।
2. वजन बढ़ना
गर्भावस्था में शरीर का वजन बढ़ता है, जिससे पीठ और रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यह दबाव डिलीवरी के बाद भी दर्द का कारण बना रहता है।
3. डिलीवरी के दौरान दबाव
डिलीवरी की प्रक्रिया में मांसपेशियों और लिगामेंट्स पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। परिणामस्वरूप, कमर और पेल्विक क्षेत्र कमजोर हो जाते हैं और दर्द लंबे समय तक बना रहता है।
4. गलत मुद्रा (Posture)
बच्चे को बार-बार उठाना, दूध पिलाने के दौरान झुकना, या लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहना, पीठ पर अनावश्यक दबाव डालता है।
5. नींद की कमी और थकान
बच्चे की देखभाल में नई मां को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती। शरीर को रिकवरी का समय नहीं मिलने से मांसपेशियां थकी रहती हैं और दर्द बढ़ जाता है।
बचाव और समाधान
इस दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
1. सही मुद्रा अपनाना
- बच्चे को उठाते समय रीढ़ सीधी रखें।
- दूध पिलाने के समय कुर्सी पर पीठ को सहारा दे।
- बच्चे को झुककर उठाने के बजाय, बैठकर या घुटनों को मोड़कर उठाएं।
2. हल्के व्यायाम और योग
- कैट-काउ पोज़ (Cat-Cow): रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों को लचीला बनाता है।इसे करने के लिए हाथ और घुटनों के बल टेबलटॉप पोजीशन में आएं। सांस लेते हुए पीठ को नीचे करें और सिर ऊपर उठाएं (काउ पोज)। सांस छोड़ते हुए पीठ को गोल करें और सिर नीचे करें (कैट पोज)। इसे १०-१२ बार दोहराएं।
- पेल्विक टिल्ट्स (Pelvic Tilts): पेल्विस और पीठ की मजबूती बढ़ाता है।इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ें, और पैर ज़मीन पर रखें। धीरे-धीरे पेट के निचले हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और कुछ सेकंड रुकें। इसे १०-१५ बार दोहराएं।
- हल्की वॉकिंग: रक्त प्रवाह बेहतर करता है और रिकवरी तेज करता है।
3. फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट की मदद से किए गए व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाते हैं। इससे पीठ पर दबाव कम होता है और दर्द धीरे-धीरे घटता है।
4. बिना सर्जरी के उपचार (Non-Surgical Treatments)
- नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट: यह एक अमेरिकी प्रोटोकॉल पर आधारित तकनीक है। इसमें विशेष मशीन द्वारा रीढ़ को कोमल और नियंत्रित खिंचाव दिया जाता है। स्पाइनल डीकंप्रेशन से डिस्क और नसों पर दबाव कम होता है और प्राकृतिक रूप से ठीक होने की प्रक्रिया शुरू होती है।
- हीट/कोल्ड थेरेपी: गर्म सेक से मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और ठंडा पैक सूजन कम करता है।
- मालिश (Massage): सही तकनीक से की गई मालिश पीठ दर्द में राहत दिलाती है।
5. जीवनशैली में बदलाव
- संतुलित आहार: कैल्शियम, विटामिन D, और प्रोटीन से भरपूर आहार हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- पर्याप्त नींद: जब भी संभव हो, छोटे-छोटे अंतराल में आराम करें।
- तनाव प्रबंधन: मानसिक तनाव पीठ दर्द को और बढ़ा सकता है। इसलिए मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की आदत डालें।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
यदि पीठ दर्द:
- लगातार कई हफ्तों तक बना रहे,
- रात में अधिक बढ़ जाए,
- पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन पैदा करे,
- चलने-फिरने में कठिनाई करे,
तो तुरंत किसी स्पाइन विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है। समय पर इलाज कराने से स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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