घुटनों में दर्द (Knee Pain) आज हर उम्र के लोगों के लिए आम समस्या बन चुकी है। पहले यह परेशानी केवल बुजुर्गों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब युवाओं, खिलाड़ियों, और ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहने वालों में भी यह बढ़ती जा रही है।
लंबे समय तक बैठने, गलत चाल, मोटापा, चोट, या उम्र के साथ जोड़ों के घिसने से घुटनों में दर्द शुरू हो सकता है। शुरू में यह दर्द हल्का सा लगता है, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह आपके चलने-फिरने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
अच्छी बात यह है कि आज घुटनों के दर्द का इलाज बिना सर्जरी, बिना दवा, और बिना इंजेक्शन के भी संभव है।
घुटनों में दर्द के सामान्य कारण क्या है?
घुटनों में दर्द कई कारणों से हो सकता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कारण:
- ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): उम्र बढ़ने के साथ घुटनों की हड्डियों के बीच की कार्टिलेज घिसने लगती है, जिससे जोड़ों में सूजन और दर्द होता है।
- लिगामेंट या मेनिस्कस में चोट: खेल के दौरान, गिरने, या किसी झटके के कारण घुटनों के लिगामेंट या मेनिस्कस को नुकसान हो सकता है, जिससे दर्द, सूजन, और अस्थिरता महसूस होती है।
- अधिक वजन: शरीर का ज्यादा वजन घुटनों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इससे जोड़ों का घिसाव तेज होता है और दर्द बढ़ता है।
- गलत चाल या मुद्रा: गलत तरीके से चलना, लंबे समय तक झुककर बैठना, या बिना सपोर्ट के वजन उठाना भी घुटनों पर असर डालता है।
- निष्क्रिय जीवनशैली: लंबे समय तक बैठे रहने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे जोड़ों पर दबाव बढ़ता है।
घुटनों में दर्द के प्रमुख लक्षण और संकेत कौन से है?
कई बार घुटनों में दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और लोग इसे सामान्य थकान समझकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें पहचानना जरूरी है।
1. चलने या सीढ़ियां चढ़ने में दर्द
यह सबसे आम लक्षण है। घुटनों पर ज्यादा दबाव आने से दर्द महसूस होता है।
2. घुटनों में सूजन और जकड़न
सुबह उठने पर या लंबे समय तक बैठने के बाद सूजन और अकड़न महसूस होती है।
3. हरकत के दौरान “कड़क” या “टिक-टिक” की आवाज़
यह घुटने के जोड़ों के घिसने या लिगामेंट के खिंचने का संकेत हो सकता है।
4. लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर दर्द का बढ़ना
जब जोड़ों पर लंबे समय तक एक ही स्थिति में दबाव रहता है, तो दर्द और बढ़ जाता है।
5. घुटनों में कमजोरी और अस्थिरता महसूस होना
ऐसा लगता है कि चलते समय घुटना “नाकाम” हो गया हो। यह लिगामेंट या मांसपेशियों की कमजोरी का संकेत हो सकता है।
घुटनों के दर्द को नज़रअंदाज़ करना ख़तरनाक क्यों है?
कई लोग दर्द को सामान्य मानकर घर पर राहत के उपाय करते हैं, लेकिन बार-बार होने वाला या बढ़ता हुआ दर्द गंभीर समस्या की ओर इशारा कर सकता है।
समय पर जांच और उपचार से इस दर्द को बढ़ने से रोका जा सकता है और जोड़ों की सेहत को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।
बिना सर्जरी के उपलब्ध उपचार विकल्प कौन से हैं?
फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा करवाए जाने वाले व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाते हैं। यह जोड़ों पर दबाव कम करने और दर्द घटाने में मदद करते है।
हीट/कोल्ड थेरेपी
- बर्फ लगाने से सूजन और ताजे दर्द में राहत मिलती है।
- गर्म सेक से रक्त प्रवाह बढ़ता है और जकड़न कम होती है।
- जीवनशैली में बदलाव और वजन पर नियंत्रण:
- नियमित वॉक करें और हल्की एक्सरसाइज करें।
- संतुलित आहार लें जिसमें कैल्शियम और विटामिन D की पर्याप्त मात्रा हो।
- सही जूते पहनें और एक ही मुद्रा में लंबे समय तक न बैठें।
नॉन-सर्जिकल नि डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट
यह एक आधुनिक और वैज्ञानिक उपचार पद्धति है, जो घुटनों के दर्द के लिए बेहद प्रभावी है। इसमें डीकंप्रेशन मशीन घुटनों के जोड़ों पर नियंत्रित खिंचाव डालती है, जिससे:
- जोड़ों पर बने दबाव में कमी आती है।
- रक्त और पोषक तत्वों का प्रवाह बढ़ता है।
- कार्टिलेज की प्राकृतिक हीलिंग प्रक्रिया सक्रिय होती है।
यह उपचार पूरी तरह से दवा-मुक्त, बिना इंजेक्शन, और बिना सर्जरी का है, जिससे मरीज कुछ ही हफ्तों में राहत महसूस करने लगता है।
नॉन-सर्जिकल नि डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट के फायदे:
- दर्द के मूल कारण पर काम करता है
- सुरक्षित, आरामदायक, और सटीक उपचार
- रिकवरी के लिए लंबे समय की जरूरत नहीं
- बिना साइड इफेक्ट्स के लंबे समय तक राहत
- प्राकृतिक हीलिंग को बढ़ावा
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल नि डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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