आज की डिजिटल दुनिया में मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। काम, पढ़ाई, मनोरंजन या सोशल मीडिया, हर जगह हम स्क्रीन पर झुके रहते हैं। लेकिन यही आदत धीरे-धीरे हमारी रीढ़ और गर्दन के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है।
लंबे समय तक झुकी हुई स्थिति में बैठने से “टेक नेक” (Tech Neck) नामक समस्या पैदा होती है, जो गर्दन दर्द, कंधों में अकड़न, और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ना जैसी स्थितियों का कारण बन सकती है। यदि समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
टेक नेक क्या है?
“टेक नेक” वह स्थिति है, जब व्यक्ति लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग करते हुए गर्दन झुकाकर बैठता है। सामान्य स्थिति में सिर का वजन 4-5 किलो होता है, लेकिन जैसे ही हम सिर को आगे की ओर झुकाते हैं, यह वजन कई गुना बढ़कर गर्दन और रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
उदाहरण के लिए:
- 15 डिग्री झुकाव पर गर्दन पर लगभग 12 किलो का दबाव पड़ता है।
- 60 डिग्री झुकाव पर यह दबाव लगभग 22 किलो तक पहुँच जाता है।
लगातार ऐसा करने से मांसपेशियां कमजोर होती हैं, डिस्क पर दबाव बढ़ता है, और धीरे-धीरे यह समस्या नस दबने (nerve compression), डिस्क हर्निएशन, या क्रोनिक गर्दन दर्द तक पहुंच सकती है।
टेक नेक के प्रभाव
- गर्दन और कंधों में अकड़न और दर्द: लंबे समय तक स्क्रीन पर झुककर बैठने से गर्दन की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, जिससे अकड़न और दर्द होता है।
- रीढ़ का प्राकृतिक आकार प्रभावित होना: लगातार झुकने से गर्दन की रीढ़ में मौजूद प्राकृतिक वक्रता असंतुलित हो जाती है, जो भविष्य में गंभीर स्पाइन-संबंधी समस्याओं को जन्म देती है।
- डिस्क पर दबाव बढ़ना: गर्दन झुकाकर बैठने से सर्वाइकल डिस्क पर लगातार दबाव पड़ता है। यह स्थिति डिस्क बल्ज या हर्निएशन का कारण बन सकती है।
- सिरदर्द और झनझनाहट: गर्दन पर तनाव बढ़ने से सिरदर्द, आंखों में थकान, और हाथों में झनझनाहट या कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
- क्रोनिक दर्द और नसों की क्षति: यदि इस समस्या की अनदेखी की जाए तो यह धीरे-धीरे नसों पर दबाव डाल सकती है और दीर्घकालिक दर्द या नसों की क्षति का कारण बन सकती है।
बचाव और बिना सर्जरी के उपचार
1. सही पोश्चर अपनाना
- लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करते समय स्क्रीन को आंखों की ऊँचाई पर रखें।
- सीधे बैठें, कंधे रिलैक्स रखें, और पीठ को सपोर्ट दें।
- मोबाइल को गोद में रखने की बजाय हाथ की ऊँचाई पर इस्तेमाल करें।
2. नियमित ब्रेक लेना
- हर 30-40 मिनट में स्क्रीन से ब्रेक लें।
- कुछ मिनट के लिए टहलें या गर्दन और कंधों को व्यायाम दे।
3. व्यायाम और योग
- कैट-काउ पोज़: रीढ़ और गर्दन को लचीला बनाता है।
- सीटेड नेक रोल्स: गर्दन की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है।
- शोल्डर स्ट्रेच: कंधों और गर्दन की अकड़न कम करता है।
- चाइल्ड पोज़: पीठ और गर्दन दोनों को आराम देता है।
4. नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट (NSSDT)
यह एक आधुनिक, अमेरिकी प्रोटोकॉल पर आधारित उपचार है।
- इसमें विशेष मशीन से रीढ़ की हड्डी पर कोमल और नियंत्रित खिंचाव दिया जाता है।
- इससे डिस्क और नसों पर दबाव कम होता है और पोषक तत्वों का प्रवाह बेहतर होता है।
- परिणामस्वरूप, गर्दन दर्द और नसों के दबाव से राहत मिलती है।
- सबसे खास बात – यह पूरी तरह दवा-मुक्त, सर्जरी-मुक्त और बिना दर्द का उपचार है।
5. फिजियोथेरेपी और हीट/कोल्ड थेरेपी
- फिजियोथेरेपी से मांसपेशियां मजबूत और लचीली बनती हैं।
- हीट थेरेपी रक्त संचार बढ़ाती है और मांसपेशियों को रिलैक्स करती है।
- कोल्ड थेरेपी सूजन और दर्द कम करती है।
ANSSI बद्दल:
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