गर्दन की नस (सर्वाइकल नर्व) पर दबाव आना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। अक्सर इसका कारण स्पाइनल डिस्क हर्निएशन (फटी डिस्क) या डिस्क बल्ज़िंग (डिस्क में उभार) होता है, जिससे नसों पर दबाव बढ़ जाता है। यदि समय रहते इसका पता न चले और इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति हाथों में कमजोरी, लगातार दर्द, और जीवनशैली में बाधा निर्माण कर सकती है।
आइये हम जाने की ऐसी समस्या को कैसे समय रहते पहचाना जाए और सर्जरी के बिना उपयुक्त इलाज कैसे संभव है।
गर्दन की नस दबने के कारण
- सर्वाइकल डिस्क हर्निएशन: यह स्थिति तब होती है जब रीढ़ की डिस्क फट जाती है, वह अपनी जगह से बाहर खिसक जाती है, और पास की नसों को दबा देती है।
- बल्ज़िंग डिस्क: डिस्क में थोड़ा उभार बनना, जो आसपासकी नसों पर दबाव डाल सकता है।
- सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस: उम्र बढ़ने या आर्थराइटिस के कारण सर्वाइकल रीढ़ पर दबाव और जोड़ों में घिसावट होती है।
- खराब पोस्चर: लंबे समय तक झुककर बैठना, मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन को नीचे देखना, या गलत मुद्रा (पोश्चर) बनाए रखना, गर्दन और नर्व को प्रभावित करता है।
मुख्य लक्षण
नीचे कुछ प्रमुख चेतावनी देने वाले लक्षण हैं जिन्हें नजरअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए:
- गर्दन से कंधे और हाथ तक दर्द का फैलाव: यह दर्द अक्सर एक तरफ होता है और बढ़ सकता है।
- हाथों में झनझनाहट या सुन्नपन: यह संकेत है कि नस पर दबाव बढ़ गया है और संवेदना प्रभावित हो रही है।
- उंगलियों में सुई-सी चुभन महसूस होना: खासतौर पर अंगूठे, तर्जनी, या बीच की अंगुली में।
- गर्दन घुमाने में कठिनाई या जकड़न: सिर घुमाते समय दर्द या खिंचाव महसूस होना।
- हाथों में कमजोरी: जैसे पकड़ बनाने में परेशानी या भारी सामान उठाने में कठिनाई।
- लंबे समय तक एक स्थिति में बैठे रहने पर दर्द बढ़ना: खासतौर पर झुककर पढ़ना या काम करना दर्द को और बढ़ा सकता है।
समय रहते पहचान क्यों ज़रूरी है?
नस दबने की समस्या को समय पर पहचानना बहुत जरूरी है क्योंकि:
- यदि नस लंबे समय तक दबाव में रहे, तो नस हमेशा के लिए खराब हो सकती है।
- समय रहते इलाज करने से सर्जरी जैसी अत्यंत जोखिम भरी प्रक्रिया से बचा जा सकता है।
- दर्द, कमजोरी, और सीमित गतिशीलता जैसी अन्य जटिलताओं को टालने में मदद मिलती है।
बिना सर्जरी के इलाज
शुरुआत में ही प्रभावी और सुरक्षित उपचारो से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
नॉन‑सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट (NSSDT)
यह एक अत्याधुनिक, दवा‑मुक्त, और सुरक्षित उपचार पद्धति है, जो कंप्यूटर‑नियंत्रित उपकरणों द्वारा रीढ़ और नसों पर से दबाव को कम करती है। इस प्रक्रिया के दौरान डिस्क में निगेटिव प्रेशर बनता है, जिससे उसमें पानी और पौष्टिक तत्व लौटते है, और डिस्क ठीक होने की प्रक्रिया शुरू होती है। नॉन‑सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन पूरी तरह आरामदायक, सुरक्षित, और प्रभावी ट्रीटमेंट है।
फिजियोथेरेपी और पोश्चर सुधार
अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा निर्देशित व्यायाम, स्ट्रेचिंग, और पोश्चर सुधार (Posture Correction) की तकनीकें नसों पर से दबाव कम करने में सहायक हैं। यह रीढ़ और गर्दन को मजबूत और लचीला बनाते है।
जीवनशैली में बदलाव
- सही पोश्चर अपनाना: लैपटॉप/मोबाइल को आंखों के स्तर पर रखते हुए काम करें।
- स्ट्रेचिंग और हल्का व्यायाम: गहरी सांस के व्यायाम, योगासन, और कंधों को रिलैक्स करने वाले स्ट्रेच प्रभावी हैं।
- समय-समय पर खड़े रहे और स्ट्रेच करें: काम करते समय हर 30 मिनट में अपनी मुद्रा बदलें।
हीट/कोल्ड थेरेपी और माइंडफुलनेस
गर्म सिकाई से रक्तसंचार बेहतर होता है और सूजन कम होती है। बर्फ की पैक नसों के आसपास के दर्द में राहत देती है। साथ ही, ध्यान (प्राणायाम, मेडिटेशन) से तनाव घटता है, जिससे दर्द में सुधार आता है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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