आज के डिजिटल युग में हाथों में सुन्नपन, झनझनाहट, या कमजोरी की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। कई लोग इसे थकान या कुछ समय की तकलीफ समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ मामलों में इसका कारण होता है, गर्दन की नस दबना (Nerve Compression)।
यदि समय रहते इसका सही और सुरक्षित इलाज न किया जाए, तो यह समस्या बढ़कर दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। अच्छी बात यह है कि आधुनिक नॉन-सर्जिकल उपचार से बिना दवा, इंजेक्शन, या सर्जरी के भी राहत संभव है।
नस दबने से हाथों में सुन्नपन क्यों होता है?
हमारी गर्दन (सर्वाइकल स्पाइन) से कई महत्वपूर्ण नसें निकलकर कंधों, बाजुओं, और हाथों तक जाती हैं। जब किसी कारण से गर्दन की डिस्क, हड्डियाँ, या आसपास की मांसपेशियाँ, इन नसों पर दबाव डालती हैं, तो नसों के संकेत सही तरह से आगे नहीं पहुँच पाते। परिणामस्वरूप, हाथों या उंगलियों में सुन्नपन, झनझनाहट, जलन, या कमजोरी महसूस होती है।
यह समस्या अक्सर एक हाथ में शुरू होती है, लेकिन समय के साथ दोनों हाथों तक फैल सकती है।
मुख्य कारण
हाथों में सुन्नपन और गर्दन दर्द के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- सर्वाइकल डिस्क बल्ज या हर्निएटेड डिस्क: डिस्क का बाहर की ओर निकलना नसों पर दबाव बनाता है।
- सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस: उम्र या लंबे समय तक गलत पोश्चर के कारण गर्दन की हड्डियों में घिसाव।
- गलत बैठने की आदतें: लंबे समय तक झुककर बैठना और स्क्रीन को नीचे रखकर देखना नुकसानदेह होता है।
- मोबाइल और लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग (Tech Neck): गर्दन आगे की ओर झुकने से नसों पर दबाव बढ़ता है।
- मांसपेशियों में जकड़न: तनाव और कम गतिविधि के कारण गर्दन-कंधे की मांसपेशियाँ सख्त हो जाती हैं।
लक्षण जिन पर ध्यान देना जरूरी है
यदि निम्नलिखित में से कोई लक्षण लगातार बने रहें, तो इन्हें हल्के में न लें:
- उंगलियों, हथेली, या पूरे हाथ में सुन्नपन
- झनझनाहट या सुई-चुभन जैसा एहसास
- गर्दन में दर्द या अकड़न
- हाथों में कमजोरी या पकड़ ढीली होना
- गर्दन घुमाने या ऊपर-नीचे करने में कठिनाई
ये संकेत बताते हैं कि नसों पर दबाव बढ़ रहा है और समय पर इलाज जरूरी है।
बिना सर्जरी उपचार विकल्प
अधिकांश मामलों में सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती। सही मार्गदर्शन और नॉन-सर्जिकल उपचार से लक्षणों में प्रभावी सुधार देखा जा सकता है।
फिजियोथेरेपी और स्ट्रेचिंग
विशेषज्ञ की देखरेख में किए गए स्ट्रेच और एक्सरसाइज़ गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं, जकड़न कम करते हैं, और नसों को राहत देते हैं।
पोश्चर करेक्शन
काम करते समय सही पोश्चर अपनाना बेहद जरूरी है। कंप्यूटर स्क्रीन आंखों के स्तर पर रखें, कुर्सी में गर्दन और कमर का सपोर्ट हो, और हर 30-40 मिनट में ब्रेक लें।
हीट और कोल्ड थेरेपी
ठंडी या गर्म सिकाई से मांसपेशियों की अकड़न और सूजन से अस्थायी राहत मिलती है, जो अन्य उपचारों के साथ सहायक होती है।
लाइफस्टाइल में बदलाव
पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन, हल्की गतिविधियाँ, और नियमित वॉक गर्दन की सेहत को बेहतर बनाते हैं।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट
यह एक आधुनिक, कंप्यूटर-नियंत्रित, और पूरी तरह नॉन-सर्जिकल उपचार है। इसमें विशेष डीकंप्रेशन टेबल की मदद से रीढ़ को कोमल और नियंत्रित खिंचाव दिया जाता है, जिससे:
- डिस्क के अंदर निगेटिव प्रेशर बनता है
- नसों पर पड़ा दबाव कम होता है
- डिस्क को पोषण और पानी वापस मिलता है
- शरीर की प्राकृतिक रूप से ठीक होने की प्रक्रिया सक्रिय होती है
सबसे महत्वपूर्ण बात: इसमें कोई दवा, इंजेक्शन, या काट-छांट शामिल नहीं होती और उपचार आरामदायक होता है।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट कैसे देता है लंबे समय की राहत?
यह ट्रीटमेंट केवल लक्षणों को दबाता नहीं, बल्कि समस्या की जड़, जो है नस और डिस्क पर दबाव, उसे कम करता है।
नियमित सत्रों के साथ:
- हाथों का सुन्नपन धीरे-धीरे कम होता है
- गर्दन की मूवमेंट सुधरती है
- दर्द और झनझनाहट में स्थायी सुधार दिखता है
ANSSI Wellness जैसे प्रमाणित केंद्रों में नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट USA प्रोटोकॉल के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट्स की निगरानी में दिया जाता है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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