आज के समय में स्पोंडिलोसिस (Spondylosis) एक बेहद आम रीढ़ संबंधी समस्या बन चुकी है। लंबे समय तक लैपटॉप या मोबाइल पर झुककर बैठना, गलत मुद्रा में सोना, या उम्र के साथ रीढ़ की डिस्क का घिसना, ये सभी कारण इस समस्या को जन्म देते हैं।
स्पोंडिलोसिस आमतौर पर दो हिस्सों में देखा जाता है:
- सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis): जो गर्दन और कंधों को प्रभावित करता है।
- लंबर स्पोंडिलोसिस (Lumbar Spondylosis): जो पीठ और कमर के निचले हिस्से को प्रभावित करता है।
स्पोंडिलोसिस में रीढ़ की हड्डियाँ, जोड़ों, और डिस्क में धीरे-धीरे बदलाव आने लगते हैं, जिससे नसों पर दबाव बढ़ता है और दर्द या झनझनाहट शुरू होती है।
कई लोग मानते हैं कि इसका इलाज केवल सर्जरी से ही संभव है, लेकिन अब आधुनिक तकनीक के ज़रिए इसे बिना सर्जरी, बिना दवा, और बिना इंजेक्शन के भी ठीक किया जा सकता है।
स्पोंडिलोसिस के लक्षण
स्पोंडिलोसिस के शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह दर्द और भी गंभीर रूप ले सकता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- गर्दन, पीठ, या कमर में लगातार दर्द और जकड़न
- गर्दन घुमाने या झुकने पर दर्द बढ़ना
- हाथों या पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन
- कंधों, बाहों, या जांघों में कमजोरी महसूस होना
- लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर दर्द बढ़ना
- सिरदर्द, चक्कर, या बैलेंस बिगड़ना (सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस में आम)
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो यह संकेत है कि रीढ़ की डिस्क या नसों पर दबाव बढ़ रहा है, जिसे समय रहते पहचानना जरूरी है।
स्पोंडिलोसिस के मुख्य कारण
उम्र बढ़ना
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, रीढ़ की डिस्क और जोड़ों का लचीलापन कम होने लगता है। इससे हड्डियों के किनारों पर बोन स्पर (हड्डी की उभार) बनने लगते हैं जो नसों पर दबाव डालते हैं।
गलत मुद्रा
लंबे समय तक झुककर मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करना गर्दन और रीढ़ पर अत्यधिक तनाव डालता है।
निष्क्रिय जीवनशैली
शारीरिक गतिविधियों की कमी या लंबे समय तक बैठने से मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं, जिससे रीढ़ पर दबाव बढ़ता है।
चोट या झटका
किसी दुर्घटना या अचानक झटके से रीढ़ की डिस्क प्रभावित हो सकती है, जो बाद में स्पोंडिलोसिस में बदल जाती है।
वजन बढ़ना
अधिक वजन से रीढ़ और कमर पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे दर्द और डिस्क पर दबाव बढ़ जाता है।
क्या स्पोंडिलोसिस में सर्जरी जरूरी है?
नहीं! स्पॉन्डिलोसिस का इलाज हर बार सर्जरी से नहीं होता।
अधिकांश मामलों में दर्द का कारण होता है डिस्क और नसों पर बना दबाव, जिसे सही नॉन-सर्जिकल उपचार से ठीक किया जा सकता है।
आज कई ऐसी आधुनिक तकनीकें हैं जो बिना किसी चीरफाड़ या दवा के दर्द के मूल कारण पर काम करती हैं। इन्हीं में से सबसे प्रभावी है नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट क्या है?
यह एक उन्नत, अमेरिकी-प्रोटोकॉल पर आधारित तकनीक है जो रीढ़ और डिस्क पर बने दबाव को सुरक्षित तरीके से कम करती है।
यह ट्रीटमेंट कैसे काम करती है:
- मरीज को एक विशेष डीकंप्रेशन टेबल पर लिटाया जाता है।
- मशीन कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित होती है और यह रीढ़ की हड्डी पर कोमल व सटीक खिंचाव डालती है।
- इस प्रक्रिया से रीढ़ की डिस्क पर बना दबाव घटता है, जिससे दबी हुई नस मुक्त होती है।
- साथ ही, डिस्क में ऑक्सीजन, रक्त, और पोषक तत्वों का प्रवाह बढ़ता है, जिससे प्राकृतिक रूप से ठीक होने की प्रक्रिया सक्रिय होती है।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह दर्द-मुक्त होती है। मरीज को किसी तरह की दवा, इंजेक्शन, या एनेस्थेसिया की आवश्यकता नहीं होती।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट के फायदे
- सर्जरी, दवा, या इंजेक्शन की जरूरत नहीं।
- रीढ़ और डिस्क पर दबाव कम करती है।
- दर्द के मूल कारण को ठीक करती है।
- प्राकृतिक हीलिंग को सक्रिय करती है।
- कोई साइड इफेक्ट नहीं और रिकवरी टाइम नहीं।
- लंबे समय तक राहत और बेहतर गतिशीलता।
अब तक हजारों मरीजों ने नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट से बिना सर्जरी अपने दर्द से राहत पाई है और वोह अपने सक्रिय जीवन में लौट सके हैं।
अन्य सहायक नॉन-सर्जिकल उपाय
- फिजियोथेरेपी: मांसपेशियों को मजबूत करती है और रीढ़ को स्थिरता देती है।
- सही पोश्चर: झुककर बैठने या गलत मुद्रा में सोने से बचें।
- हीट और कोल्ड थेरेपी: सूजन कम करने और मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती है।
- योग और हल्का व्यायाम: मांसपेशियों में लचीलापन और रक्त प्रवाह बढ़ाता है।
- लाइफस्टाइल में सुधार: संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, और तनाव नियंत्रण जरूरी है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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