आजकल जीवनशैली में बदलाव, लम्बे समय तक एक ही स्थिति में बैठना, भारी सामान उठाना, या बढ़ती उम्र के कारण रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
विशेष रूप से डिस्क संबंधी समस्याएं, जैसे हर्नियेटेड डिस्क, बल्जिंग डिस्क, और डीजेनेरेटिव डिस्क डिसीज़, आम हो गई हैं। इन स्थितियों में पीठ या गर्दन में तेज़ दर्द, हाथ-पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट, और चलने-फिरने में कठिनाई जैसी समस्याएं देखी जाती हैं।
इन समस्याओं का समाधान खोजते समय अक्सर मरीजों को दवाइयाँ, फिजियोथेरेपी, इंजेक्शन, और यहां तक कि सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। लेकिन अब एक आधुनिक और पूरी तरह से सुरक्षित विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है — नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट। यह उपचार बिना सर्जरी, दवाइयाँ, या इंजेक्शन के डिस्क की समस्याओं को जड़ से ठीक करने की क्षमता रखता है।
डिस्क की समस्याएं कैसे होती हैं?
रीढ़ की हड्डी या स्पाइन 33 अलग-अलग कशेरुकाओं (vertebrae) से बनी होती है और हर दो कशेरुकाओं के बीच में एक नरम, जेल जैसी डिस्क होती है, जिसे स्पाइनल डिस्क कहते हैं। ये डिस्क पीठ पर लगने वाले झटकों को सोख लेती हैं और स्पाइन को लचीला बनाती हैं।
जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक गलत मुद्रा (पोश्चर) में बैठता है, भारी वजन उठाता है, उसे अचानक झटका लगता है, या उम्र के साथ डिस्क का पानी कम हो जाता है, तो डिस्क पर दबाव बढ़ जाता है। यह दबाव डिस्क को अपनी जगह से बाहर निकाल सकता है (हर्नियेशन), सूजा सकता है (बल्जिंग), या उसका आकार और लचीलापन कम कर सकता है (डीजेनेरेशन)। इस फैली हुई डिस्क के वजह से आसपासकी नसों पर दबाव पड़ता है और तेज दर्द, कमजोरी, या सुन्नपन जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट क्या है?
यह एक कंप्यूटर-नियंत्रित, धीरे से खिंचाव देने वाली तकनीक है, जो विशेष मशीन के द्वारा की जाती है। इसमें मरीज को एक आरामदायक टेबल पर लिटाया जाता है और धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी को खींचा जाता है। इस प्रक्रिया से स्पाइन में “निगेटिव प्रेशर” उत्पन्न होता है, जिससे डिस्क के ऊपर का दबाव कम होता है और डिस्क का बाहर निकला हुआ हिस्सा वापस अपनी जगह पर खींचता है।
यह पूरी प्रक्रिया में ना तो दर्द होता है, नाकि यहाँ किसी दवा या सुई की जरूरत होती है। आमतौर पर यह उपचार 20 से 30 सत्रों में पूरा होता है, जहां प्रत्येक सत्र लगभग 30 से 45 मिनट का होता है।
यह ट्रीटमेंट डिस्क की समस्याओं का समाधान कैसे करती है?
1. नसों पर दबाव कम करना
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन रीढ़ की हड्डी में जगह बनाकर दबे हुए नसों को राहत देता है। इससे दर्द और सुन्नपन में तुरंत सुधार देखा जा सकता है।
2. बल्जिंग और हर्नियेटेड डिस्क को वापस खींचना
स्पाइन में निगेटिव प्रेशर पैदा होने से डिस्क के बाहर निकले हिस्से को धीरे-धीरे वापस अंदर खींचने में मदद मिलती है। इससे दर्द का मूल कारण ठीक होता है।
3. डिस्क को फिरसे हाइड्रेट करना
डीकंप्रेशन के दौरान डिस्क के भीतर पाणि और पोषक तत्वों का प्रवाह बढ़ता है, जिससे डिस्क में तरलता और लचीलापन लौट आता है। इससे डिस्क फिर से स्वस्थ होने लगती है।
4. डिस्क का प्राकृतिक आकार और लचीलापन फिरसे बहाल करना
लगातार उपचार से डिस्क की संरचना में सुधार आता है। यह रीढ़ की गतिशीलता को बेहतर बनाता है और जकड़न को दूर करता है।
5. दवा-मुक्त और सुरक्षित तरीके से दर्द से राहत
इस प्रक्रिया में कोई भी दवा, इंजेक्शन, या सर्जरी की जरूरत नहीं होती। यह प्राकृतिक उपचार पद्धति है जो शरीर की खुद की उपचार क्षमता को सक्रिय करती है।
सर्जरी के मुकाबले इसके फायदे
- किसी भी प्रकार की चीरफाड़ या बेहोशी की दवा की जरूरत नहीं होती।
- ठीक होने के लिए लम्बे समय तक विश्राम की जरुरत नहीं होती और मरीज रोजमर्रा के काम फिरसे से करना शुरू कर सकता है।
- कोई इंफेक्शन या जटिलता होने का जोखिम नहीं।
- यह उपचार विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनका दर्द बार-बार लौट आता है, या जिनके लिए सर्जरी काफी जोखिमपूर्ण है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
ANSSI Wellness से जुड़ें LinkedIn, Instagram, और Facebook पर और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करें।